District Bastar (Jagdalpur)State News

लोकजीवन में सात्विकता और वास्तविकता दोनों है : डॉ. जोशी

बस्तर टॉक में शामिल हुए लेखक व रंगकर्मी डॉ सच्चिदानंद

हेमंत पाणिग्राही. जगदलपुर।

देश के प्रसिद्ध रंगकर्मी व लेखक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ‘बस्तर टॉक’ के पहले सीजन फेसबुक लाइव कार्यक्रम में बस्तर की कला व रंगमंच विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि जीवन की कल्पनाओं को वास्तविकता में बस्तर का लोक जीवन बदल देता है।

यहां की साझा संस्कृति सबको प्रभावित करती है। बस्तर की खूबसूरती वाह्य व आंतरिक दोनों रूप में व्यक्ति के मन को आनंदित करती है। उन्होंने कहा कि यहां के जीवन में अपनी मौलिकताएं हैं और लोकजीवन में वास्तविकता और सात्विकता है।

यहाँ की खूबसूरती की बात करें तो जमीन के भीतर कुटुमसर है तो जमीनी धरातल पर यह की प्रकृति और लोकजीवन विश्व प्रसिद्ध है। बस्तर हमेशा सिनेमा व साहित्य और सबके लिये आकर्षण का केंद्र रहा है। यही कारण है कि 1976 में लेखक भागबती चरण पाणिग्रही की लिखी कहानी पर बनीं फिल्म मृगया का फिल्मांकन बस्तर में ही किया गया था।

यह अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की डेब्यू फिल्म थी।यहां टाइगर चेंदरु के जीवन पर बनीं ‘जंगल सागा’ फिल्म की चर्चा विश्व सिनेमा में हमेशा होगी। लेखक डॉ.जोशी ने कहा कि बस्तर दशहरा अपनी संस्कृति और रीति-रिवाज के लिए पूरी दुनियाँ में विशेष स्थान रखती है। साथ ही बस्तर के आम जीवन में प्रचलित नृत्य शैली व लोक नाट्य का अपना महत्त्व है।

इन्हीं में एक है भतरा नाट जो सामुदायिक थियेटर का सशक्त उदाहरण हो सकता है। उन्होंने कहा कि यहाँ के लोक कला के संवर्धन व संरक्षण के साथ उसकी मौलिकता को बनाये रखने के लिये नई पीढ़ी को भी जोड़ना होगा।

यहां साहित्य व रंगमंच के क्षेत्र में लेखक निरंजन महावर, डॉ.जयदेव बघेल, भट्टाचार्य, देबू चक्रवर्ती व हरिहर वैष्णव, एमए रहीम, सुभाष पाण्डेय, सत्यजीत भट्टाचार्य, विजय कंडू, रूद्रनाराणय पाणिग्रही सहित लोक कलाकार व कई कला साधक बेहतर काम किया है और कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!