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2006 में जब जगदलपुर में ‘बबलू’ का एनकाउंटर किया था पुलिस ने… बस्तर के शहरी क्षेत्र में अपनी तरह के पहली मुठभेड़ की कहानी…

सुरेश महापात्र. इम्पेक्ट न्यूज।

आज जब उत्तरप्रदेश के कुख्यात गुंडे के एनकाउंटर की खबर मीडिया में छाई है तब यकायक यह बात भी जेहन में आई कि बस्तर भी एनकाउंटर के नाम पर बदनाम है। यहां बीहड़ में माओवादियों से मुठभेड़ के नाम पर की गई हत्याओं की कई कहानियां सुप्रीम कोर्ट तक में विचाराधीन हैं। पर बस्तर जिला मुख्यालय के जगदलपुर शहर के बीचोंबीच एक मुठभेड़ की यादें एक बार फिर ताजा हो गई है। जिसमें यह हत्या के आरोपी की सुनियोजित हत्या थी या मुठभेड़ अब तक खुलासा नहीं हो सका।

आज सुबह जैसे ही विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत की खबर मिली तो बस्तर में बबलू के एनकाउंटर की याद ताजा हो गई। करीब 14 बरस पहले की यह घटना है। तब बस्तर में जीपी सिंह एसपी पदस्थ थे। जीपी सिंह के कार्यकाल में दो मुठभेड़ दर्ज हैं जिसमें एक नयामुंडा के बबलू और रहमान नाम के युवक का। एक हत्या का आरोपी था और दूसरा लूट का।

तब आज जैसे स्मार्टफोन तो थे नहीं कि पल भर में तस्वीर और बातें वायरल हो जाएं। सोशल मीडिया का प्लेटफार्म भी नहीं था। बस न्यूज चैनल और अखबार थे और उसमें प्रकाशित और दिखाई गई खबर ही सब कुछ हुआ करती थी।

बस्तर संभाग मुख्यालय में बड़े अखबारों के पेजिंग सेंटर थे। सो खबरें रात 8 बजे तक ही ली जा सकती थीं। उसके बाद खबर मिली तो यदि लायक रही तो राजधानी के पन्नें में सिंगल छप जाया करतीं। नहीं तो दूसरे दिन लोकल पुल आउट में।

बबलू के मुठभेड़ से पहले रात करीब दस बजे सूचना मिली कि नयामुंडा में एक युवक ने अपनी मां की हत्या कर दी है। रिपोर्टर मौके पर पहुंचे। तब डिजिटल कैमरा किसी किसी के पास ही हुआ करता था। हमारे रिपोर्टर के पास यह उपलब्ध था। उसने मौके की तस्वीरें ली साथ ही आरोपी को जब पुलिस पकड़ कर ले जा रही थी तब की भी एक तस्वीर कैमरे में सुरक्षित हो गई।

तस्वीर से साफ था कि एक पुलिस कर्मी बबलू के हाथ को पकड़ कर चल रहा था। बबलू का चेहरा भी साफ दिख रहा था और पुलिस की पकड़ भी… इसके बाद देर रात खबर मिली कि पुलिस की गिरफ्त से भागने की फिराक में बबलू ने हमला कर दिया और जवान से बंदूक छीन लिया। बचाव में पुलिस ने फायरिंग की जिसमें उसकी मौत हो गई।

पर मुठभेड़ से पहले पुलिस की गिरफ्त में आरोपी की तस्वीर केवल दैनिक भास्कर के पास ही उपलब्ध थी। सुबह की मिटिंग से पहले तस्वीर लेकर कम्प्यूटर में सेव कर दिया गया। इसकी किसी को भनक लगने नहीं दी गई। क्योंकि हालात को देखते हुए अंदेशा था कि इस कथित मुठभेड़ का खुलासा करने से पहले पुलिस तथ्यों की तस्दीक करने के लिए मीडिया के पास तस्वीर हासिल करने कोशिश करेगी। पर यह बात पूरी तरह से छिपा दी गई।

दोपहर बाद तक एसपी जीपी सिंह ने अपने तरीके से सभी अखबार दफ्तरों में इस मुठभेड़ को लेकर अलग—अलग बातचीत की। भांपने की कोशिश की इससे पहले किसी के पास कोई तस्वीर तो उपलब्ध नहीं है…। उसके बाद पुलिस ने मुठभेड़ को लेकर अपनी कहानी परोस दी।

हमने पुलिस की परोसी कई पूरी थ्योरी छाप दी। पर उससे ठीक उपर करीब पांच कॉलम की एक तस्वीर लगाई जिसमें एक लाइन का कैप्शन लगा दिया… मुठभेड़ से पहले पुलिस की गिरफ्त में बबलू…

इस एक तस्वीर ने पुलिस की थ्योरी पर बट्टा लगा दिया था… एक—दो दिन जगदलपुर में हंगामा बरपा फिर लोग शांत हो गए… हमने अपने हिस्से का काम कर दिया था… बाकि तो न्यायपालिका के हिस्से था…

पुलिस ने यह स्थापित किया कि हत्या वाली रात बबलू को जब पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसके पास धारदार हथियार था। जीप में बिठाकर उसे ले जाया गया। रास्ते में उसने हमला कर भागने की कोशिश की। पुलिस को बचाव में फायरिंग करना पड़ा इस तरह से बबलू का मुठभेड़ हो गया। जिस जगह बबलू ने अपनी मां की हत्या की थी उससे करीब एक किलोमीटर के फासले में बोधघाट का थाना है जहां पहुंचने से पहले ही यह मुठभेड़ अंजाम हो गया…।

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