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छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों के शिक्षकों के सामने संकट… बस्तर से बिलासपुर तक आंदोलित हैं​ शिक्षक… बैठकों का दौर शुरू… प्रां​तीय संगठन के अध्यक्ष बने सुरेश दिवाकर…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर।

कोरोना वैश्विक महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा दुष्प्रभाव निजी संस्थाओं के कर्मचारियों पर पड़ा है। इनमें भी सबसे ज़्यादा आहत निजी विद्यालयों के शिक्षक-कर्मचारी हैं। इनकी आजीविका पर आज प्रश्नचिन्ह लग गया है। यह कहना है छत्तीसगढ़ के उन शिक्षकों का जिन्होंने बीते सत्र में किसी ना किसी निजी स्कूल में अध्यापन करवाया। इसी को लेकर निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का संगठन बन गया है जिसके प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश दिवाकर को चुने गए हैं।

बिगड़े हुए हालात का जिक्र करते पूरे प्रदेश में निजी स्कूल के शिक्षक आंदोलित हो रहे हैं। ऐसे शिक्षकों की संख्या भी लाखों में है। आज बिलासपुर और बस्तर से शि​क्षकों की बैठकों की खबर बाहर आई। सरकार को ज्ञापन सौंपकर समाधान की अपेक्षा की गई है।

निजी स्कूल के शिक्षक उपेंद्र सिंह कहते हैं ‘इसी प्रश्नचिन्ह के समाधान के लिए राज्य शासन से सामूहिक गुहार लगाने की योजना-निर्माण के उद्देश्य से बस्तर अंचल के अनेक निजी विद्यालयों के शिक्षक प्रतिनिधियों ने स्थानीय निर्मल विद्यालय में आज 26 जून को एक बैठक आयोजित की।’

इस बैठक में ​उपस्थित शिक्षकों ने अपनी परेशानियों को शासन प्रशासन तक पहुँचाने की कोशिश की। श्री ठाकुर कहते हैं ‘बैठक में यह तथ्य उभर कर आया कि 18 मार्च को लॉकडाउन के समय तक अधिकांश कक्षाओं में शिक्षण कार्य पूर्ण हो चुका था। 10वीं, 12वीं की परीक्षाएं लगभग हो चुकी थीं। शेष कक्षाओं की परीक्षाओं की तैयारी पूर्ण हो चुकी थी। सत्र समाप्ति के करीब था।’

निजी स्कूलों में बहुत से पालकों ने सत्र 2019-20 का शिक्षण शुल्क जमा ही नहीं किया था। जो लॉकडाउन के कारण अप्राप्त ही रह गया। इससे विद्यालयों की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा जिसका खामियाज़ा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया फेसबुक पोस्ट में प्राइवेट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के गठन के बाद प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश कुमार दिवाकर ने बताया है कि यह इतिहास में पहली बार हुआ है। संगठन का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षकों की सैलरी संबं​धित समस्याओं के निराकरण के लिए समन्वय समिति बनाने की मांग करेगा।

ऐसे ही एक शिक्षक अक्षय मिश्रा ने बताया कि ‘निजी विद्यालय अपने शिक्षकों को वर्तमान में 25 से 30 प्रतिशत वेतन ही दे पा रहे हैं और आगे की स्थिति अंधकारमय है। निजी विद्यालय के शिक्षक शासन के आदेशानुसार उनकी योजनाओं का पालन कर ऑनलाइन शिक्षण कार्य में संलग्न होकर जी जान से अपनी भूमिका उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से निभा रहे हैं।’

मिश्रा कहते हैं कि शिक्षक इस बात से आशंकित हैं कि उनकी आवश्यकताओं की ओर शासन-प्रशासन का ध्यान कब होगा? निजी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क ही एकमात्र आय का स्त्रोत होता है जिससे विद्यालय शिक्षकों के वेतन सहित अपने समस्त व्यय पूरे करता है।

ऐसे में यदि शासन के आदेशानुसार निजी विद्यालय शिक्षण शुल्क एकत्र नहीं करेंगे तो इन विद्यालयों के अस्तित्व के साथ इनके शिक्षकों-कर्मचारियों का जीवन घोर संकट में पड़ जायेगा।

आज की स्थिति में राज्य शासन, केंद्र शासन अपने शिक्षकों- कर्मचारियों को पूरा वेतन दे रहे हैं, राजस्व प्राप्ति के कार्य भी हो रहे हैं। व्यापार एवम निर्माण कार्य भी सुचारू रूप से चल रहे हैं।

ऐसे में केवल निजी विद्यालयों के शिक्षण शुल्क लेने पर लगी रोक अतर्कसंगत है। शिक्षा जैसे अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र के निजी विद्यालयों के साथ इस तरह की अतार्किकता शिक्षकों के साथ छात्रों पर भी विपरीत प्रभाव डालेगी।

शासन-प्रशासन इन सारी स्थितियों पर विनम्रतापूर्वक ध्यान देकर इस विषय का जल्द ही कोई उचित समाधान करे। जब तक शासन कोई ठोस निर्णय करे, तब तक निजी विद्यालयों को उन पालकों से शुल्क लेने की अनुमति दें जो स्वेच्छा से शिक्षण शुल्क जमा करना चाहते हैं, इसके साथ ही पिछले सत्र का बकाया शुल्क लेने का अधिकार भी दिया जाए।

क्या है उपाय?

शिक्षा से जुड़े मामले के विशेषज्ञ कहते हैं कि राज्य सरकार चाहे तो पूरी स्थिति संभाली जा सकती है। सबसे पहले सरकार शिक्षा के अधिकार के तहत धारा 12 (1) सी, के तहत निजी स्कूलों में जिन 25 प्रतिशत सीटों के लिए कमजोर तबके के विद्यार्थियों की भर्ती करवाती है उसका भुगतान अविलंब करवा दे। साथ ही सभी वेतन भोगी सरकारी कर्मचारियों और ऐसे व्यापा​रियों जिनका व्यापार संचालित हो रहा है उनके लिए व्यवस्था बनाए कि वे अपने बच्चों की फीस का भुगतान निजी शालाओं को कर दें। इससे काफी हद तक राहत हो जाएगी। रही बात यदि सरकार शिक्षकों के लिए निजी स्कूलों पर सीधा भार देगी तो यह किसी भी संस्था के लिए कर पाना संभव नहीं होगा।

प्रां​तीय संगठन

1/प्रदेश अध्यक्ष:- सुरेश दिवाकर 
 2/प्रदेश कार्यकारी महिला अध्यक्ष:- श्रीमती कीर्ति सिंहा   3/प्रदेश सचिव:- अजय चौहान   4/प्रदेश सह सचिव:- श्रीमती संगीता उपाध्याय  5/ प्रदेश उपाध्यक्ष:- नीलाद्री गुहा, जावेद अली, श्रीमती अनामिका चंद्रनाहू  6/प्रदेश महामंत्री:- सौरभ सिंह, सुश्री तृप्ति मेढेकर 
 7/ सलाहकार/मार्गदर्शक:- रविंद्र भटनागर, श्रीमती मधु पांडे  8/ मीडिया प्रभारी:- पूर्नेंद्र चंद्राकर  9/प्रदेश संयोजक:- सालिक राम तिवारी, प्रीतम सोनी 
10/लीगल सेल सदस्य:-श्रीमती सोनिया अब्राहम   11/प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य:-रमेश कुमार  12/डाटा प्रभारी:- अंकित अग्रवाल 

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