Editorial

जब बेगारी, भूख से मौत का साया गहराया हो… ऐसे वक्त में किसानों के खाते में किसान न्याय योजना की शुरूआत की… जब किसानों को इसकी सबसे बड़ी जरूरत थी…

विशेष लेख / सौरभ शर्मा।

द वल्चर एंड द लिटिल गर्ल, हम सबने कभी न कभी यह फोटो जरूर देखी होगी। एक बच्चा है जो भूखा और कमजोर है और बिल्कुल मरणासन्न है। इसके पास एक गिद्ध है जो इसके मरने की प्रतीक्षा कर रहा है। गिद्ध बिल्कुल आश्वस्त है कि थोड़े देर में इसका बचा-खुचा मांस उसे खाने मिल जाएगा। इस समय न्यूयार्क टाइम्स के रिपोर्टर केविन ने यह फोटो ली।

इसका इतना गहरा दुख उन्हें पहुंचा कि छह महीने बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली। इस फोटो को नेशनल ज्योग्राफिक चैनल ने उस साल की सर्वोत्तम फोटो घोषित किया। ये मानवता की सबसे दुखद फोटो में से एक है। इसके बाद क्या हुआ, दुनिया ने जिसे लड़की समझा वो एक लड़का था, इसी समय एक फ्रेंच दस्ता पहुंचा और बच्चे को अपने संरक्षण में ले लिया।

वो बच्चा अभी 28 साल का हो चुका है उसका नाम है कोंग योंग। ये कहानी बताती है कि आपदा के वक्त सबसे जरूरी होती है सीधी मदद। आप उद्यम करने की शुरूआत तभी कर पाते हो जब आप अपने पैरों पर खड़े हो जाते हो, इसके लिए एक सहारा चाहिए।

छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसे वक्त में किसानों के खाते में किसान न्याय योजना की शुरूआत की। जिस वक्त किसानों को इसकी सबसे बड़ी जरूरत थी। अभी हजारों प्रवासी गांवों में लौटेंगे, इस वक्त किसानों को अपने घरों में परिवार को भी देखना होगा और अतिथियों का भी ख्याल रखना होगा। किसानों के लिए इस वक्त यह राशि बेहद अहम होगी।

कोरोना जैसी आपदा से लड़ने प्रतिरोधक क्षमता चाहिए और यह प्रतिरोधक क्षमता आएगी जब लोगों के पास पौष्टिक आहार की उपलब्धता हो। किसानों की क्रय शक्ति बेहतर होने से बाजार को भी बड़ा सहारा मिलेगा जो दो महीनों के लाकडाउन से काफी कमजोर हो चला है।

अर्थशास्त्र के शुरूआती पन्नों में ही नर्क्स के सिद्धांत का जिक्र होता है यह सिद्धांत गरीबी के दुष्चक्र का सिद्धांत है। कोई देश गरीब क्यों है क्योंकि वो गरीब है। इसमें पूंजी की कमी की बात आती है। लोगों के पास पैसे नहीं होते तो वे बाजार से चीजें नहीं खरीद पाते, इससे बाजार मेंं डिमांड नहीं पैदा होती और फिर बाजार उत्पादन नहीं करता, फिर उत्पादन नहीं होने से रोजगार सृजित नहीं हो पाता और यह दुष्चक्र चलता रहता है।

छत्तीसगढ़ में न्याय योजना से जो राशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी उससे बाजार भी बढ़ेगा और खेती की बेहतरी के लिए भी रास्ते खुलेंगे क्योंकि अभी देश के सामने बड़ी आबादी के लंबे समय तक पोषण की चुनौती भी होगी, यह चुनौती अधिकाधिक खाद्य उत्पादन से दूर होगी। किसानों को उचित दाम मिलने पर खेती के लिए भी आकर्षक संभावनाएं पैदा होंगी। जो प्रवासी दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं उनका प्रवास धीरे-धीरे रूकेगा।

छत्तीसगढ़ सरकार भूमिहीन मजदूरों के लिए भी योजना लाने पर काम कर रही है। इस वर्ग के लिए किये गये प्रयास सबसे उपयोगी साबित होंगे क्योंकि वे ही सबसे अग्रणी लोग है जिनकी मेहनत से धरती सोना उपजाती है। छत्तीसगढ़ में हमारी सबसे बड़ी चुनौती खेती को समृद्ध करने को लेकर है। खेती में बेहतर आय की संभावनाएं होंगी तो पलायन तेजी से रूकेगा।

अभी सरकार ने मनरेगा के कार्य भी बड़े पैमाने पर शुरू किये हैं। इन मनरेगा कार्यों से नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया जाएगा। इस प्रकार छत्तीसगढ़ की बड़ी उत्पादक शक्ति का पसीना अपने खेतों को ऊर्वर करने बहेगा।

कोविड संकट बड़ा संकट है लेकिन यह मौका भी है छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए कि अपनी संभावनाओं के शीर्ष तक पहुंचे। अपनी उद्यमशीलता के माध्यम से अपने लिए ऐसी जमीन तैयार करें जिससे उन्हें कभी बिछड़ना न पड़े।
सूडान की सबसे बड़ी विपत्ति की कहानी हमारे सामने है। उसका नायक कोंग योंग भी हमारे सामने है। हर तकलीफ एक अवसर भी हो सकता है यदि हम उससे सीख लें और उद्यमशीलता की राह में आगे बढ़ जाएं।

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