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क्या करे साहब कब तक बिना पैसे और खाने के रहेंगें… टूटा मजदूरों का सब्र…

इम्पेक्ट न्यूज. सुकमा।

जैसे ही पहला लाक डाउन लागू हुआ तो कंपनी में काम करना बंद हो गया। उसके बाद एक-दो दिन कंपनी की तरफ से खाना मिला उसके बाद कंपनी ने खाना देना बंद कर दिया। और वहां पर बैठे-बैठे अपने पैसों से खाना शुरू कर दिया लेकिन लाक डाउन बढ़ता चला जा रहा है तब फिर हम लोगो ने सोचा क्यों ना घर चले जाऐं फिर साईकिल पर घर के लिए निकल पड़े उक्त बाते इम्पेक्ट से चर्चा करते हुए चेन्नई से बिहार साईकिल पर जा रहे मजदूर मुराली ने कही।

आज करीब 10 बजे तेज गर्मी और चिलचिलाती गर्मी में साईकिल पर सवार होकर कुछ मजदूर एनएच 30 पर स्थित केरलापाल के पास सामने आऐ। उनसे पूछा तो उन्होने बताया कि वो चेन्नई से निकले है और आगे बिहार जा रहे है। उन्होने चर्चा में बताया कि पिछले दो महिनों से चेन्नई के आपाजाईपटेल स्थित एक कंपनी मे काम कर रहे थे लेकिन लाक डाउन हो गया और कंपनी ने खाना और पैसा देना बंद कर दिया।

जिसके बाद हम लोगो ने अपने घर बिहार के भंगवा जिले के लिए रवाना हो गए। रास्ते में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। होटल व ढाबे बंद होने के कारण कई छोटी दुकानों में बिस्कट व नमकीन से काम चलाना पड़ रहा है।

रास्ता नहीं पता पूछ कर जा रहे है

मजदूरों ने बताया कि उन्हे रास्ते के बारे में जानकारी नहीं है। वो रास्ते में पूछ-पूछ कर जा रहे है। ऐसे में उन्होने बताया कि रास्ते में काफी परेशानी हुई। क्योंकि तेलंगाना व आन्ध्र प्रदेश में भाषा को लेकर काफी दिक्कते हुई। लेकिन फिर भी हम लोग यहां तक पहुंच गए। क्योंकि हमारे पास ना तो मंहगे मोबाईल है और ना ही जीपीएस की कोई व्यवस्था।

अगर खाना और पैसा मिलता तो नहीं जाते घर

मजदूरों से पूछा गया कि वहां खाना और पैसा मिल रहा था। तो उन्होने बताया कि अगर कंपनी खाना और पैसा देती तो हम साईकिल पर इतने दूर क्यों आते। जब वाहनों का आवागमन शुरू होता तभी हम लोग आते। लेकिन मजदूरी के कारण हम लोग तेज गर्मी में घर जाने के लिए निकले है।

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