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कभी भी हो सकता है प्रशासनिक फेरबदल… परफार्मेंस ही रहेगा आधार… मंथन जारी… कोरोना रिपोर्ट कार्ड करेगा बड़ा काम…

सुरेश महापात्र.. रायपुर।

राज्य में बड़े प्रशासनिक फेरबदल की पूरी गुंजाईश बनती दिख रही है। इस संभावित बदलाव में कम से कम दो अफसरों को पहली बार जिला मिल सकता है। वहीं कुछ पुराने अफसरों को परफार्मेंस के आधार पर नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस फेरबदल के लिए कई मानक में कोरोना रिपोर्ट कार्ड, जिले में सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन, आगामी दो साल की कार्ययोजना, बैच के संतुलन का ध्यान रखने की जिम्मेदारी सरकार की है।

जिन अफसरों की उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें जिले में बिठाया जा सकता है उनमें सबसे उपर जितेंद्र शुक्ला हैं। ये वर्तमान में संचालक डीपीआई, समग्र शिक्षा और एससीईआरटी के अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं। साथ ही महिला बाल विकास में संचालक का दायित्व संभाल रहे अधिकारी जन्मजय मोहेबे भी इसी उम्मीद में हैं।

इसके अलावा अधिकारी हैं जो 2011 बैच के रिमिजियूएस एक्का को अब तक जिला नहीं मिल सका है। वे वर्तमान में छ.ग. चुनाव आयोग में सचिव के साथ शहरी विकास विभाग में संयुक्त संचालक का अतिरिक्त दायित्व भी संभाल रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 2012 बैच के रजत बंसल एक साल पहले और शिवअनंत तायल करीब छह माह पहले जिला पा चुके हैं ऐसे में इसी बैच के पुष्पेंद्र मीणा, रितेश अग्रवाल और अभिजित सिंह को भी जिला में शिफ्ट किया जा सकता है। अन्य प्रदेशों में 2013 कैडर को जिला मिल चुका है ऐसे में यह बड़ी जिम्मेदारी होगी कि कम से कम 2012 के पूरे बैच को जिले में शिफ्ट किया जाए।

इनके अलावा 2007 बैच के दो—तीन अफसर परफार्मेंस के आधार पर इधर से उधर हो सकते हैं। कुछ को जिला भी मिल सकता है। इसी बैच के यशवंत कुमार फिलहाल रायगढ़ में हैं इनका परफार्मेंस ही भविष्य तय करेगा। इसके अलावा 2006 बैच के अधिकारियों को वापस बुलाकर महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी मंत्रालय में दी जा सकती है।

बिलासपुर कलेक्टर संजय अलंग का सचिव स्तर के हैं। आगामी तीन माह में कम से कम आधा दर्जन वरिष्ठ अफसरों के सेवानिवृत्ति होना तय है। ऐसे में श्री अलंग को मंत्रालय में शिफ्ट किया जा सकता है। इसके अलावा कोंडागांव कलेक्टर नीलकंठ टेकाम, बस्तर कलेक्टर डा. अय्याज तंबोली, बीजापुर कलेक्टर केडी कुंजाम दो से तीन साल का टेन्योर पूरा करने वाले हैं। इस लिस्ट में कांकेर कलेक्टर केएल चौहान और सरगुजा के सारांश मित्तर पर भी निगाहें रहेंगी।

ऐसा अनुमान है कि इस फेरबदल में कम से कम 12 से ज्यादा जिले प्रभावित होंगे। सूत्रों ने बताया कि जिलों में नई टीम के लिए कड़े मापदंड काम के आधार पर तय किए जा रहे हैं। विशेषकर राज्य की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर जिले का परफार्मेंस प्रमुख आधार है। साथ ही राज्य सेवा के साथ अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के बीच संतुलन भी स्थापित किया जाना है।

माना जा रहा है इस बार फेरबदल को लेकर सरकार की नजर आगामी दो वर्षों में राज्य में विकास और अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ चुनावी वर्ष में प्रवेश की तैयारियों पर आधारित होगी।

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