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पंचायतों में गड़बड़ी पर बोले जिपं सीईओ पोषण चंद्राकर… जिस पैसे पर पंचायत का संपूर्ण अधिकार उसमें जिपं सीईओ कैसे कर सकता है गड़बड़ी…? फिर भी जांच करवाएंगे ताकि किसी ने कार्ययोजना के विरुद्ध कार्य किया है तो होगी कार्रवाई…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर।

बीजापुर जिले में ग्राम पंचायतों में 14वें वित्त की राशि से गड़बड़ी के मामले में जिला पंचायत सीईओ पोषण चंद्राकर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जिस राशि पर पंचायत का संपूर्ण अधिकारी उसमें जिला पंचायत सीईओ कैसे गड़बड़ी कर सकता है। कांग्रेस नेता अजय सिंह के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि क्या अजय सिंह कोई अधिकृत व्यक्ति है जो पंचायत के मामले में ऐसा बयान दे?

उनका कहना था कि उनकी जानकारी के मुताबिक अजय सिंह ना तो किसी पद में है और ना ही किसी ग्राम पंचायत का निवासी। ऐसे में पंचायतों में कथित अनियमितता को लेकर उनपर लगाए गए आरोप का कोई मायने नहीं है। जिपं सीईओ ने कहा कि जिस तरह की गड़बड़ी की बात की जा रही है वह पूरी तरह से बेबुनियाद है। इसके लिए सबसे पहले पूरी योजना को समझना होगा जिसमें जिला पंचायत और जनपद पंचायत की भूमिका केवल पोस्ट आफिस जैसी ही है।

क्या है योजना?

श्री चंद्राकर ने बताया कि जीपीडीपी यानी ग्राम पंचायत डवलपमेंट पोजेक्ट के तहत सभी पंचायतों से केंद्र सरकार कार्ययोजना मंगवाती है। इस कार्ययोजना को संबंधित ग्राम पंचायत की ग्राम सभा का अनुमोदन अनिवार्य होता है। इसके बाद पंचायत की जनसंख्या के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा पंचायतों के लिए राशि का आबंटन होता है। इस आबंटित राशि को 24 घंटे के भीतर सभी ग्राम पंचायतों के खातों में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस राशि के तहत कार्ययोजना के तहत स्वीकृत कार्य अथवा राज्य शासन के दिशा निर्देशों के पालन के तहत व्यय करना होता है। इस राशि के निकासी का संपूर्ण अधिकार पंचायतों के सचिव और सरपंच के पास होता है।

जिला पंचायत सीईओ पर अजय सिंह के आरोप

बीजापुर जिले के कांग्रेस नेता अजय सिंह का आरोप है कि ग्राम पंचायतों को 14 वें वित्त के तहत स्वीकृत राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है इसमें जिपं सीईओ की भूमिका पर सवाल है। श्री सिंह के मुताबिक जिले के सभी पंचायतों में बिना पंचायतों की सहमति के करीब 20 से 25 लाख रुपए के बिल थमाए जा रहे हैं। इसमें बर्तन, साउंड सिस्टम, क्रिकेट व अन्य खेल सामग्री समेत इलेक्ट्रानिक सामान की सप्लाई बतायी जा रही है।

फिलहाल केवल फर्जी बिल थमाकर पैसा पेमेंट के लिए दबाव की शिकायत मिली है। श्री सिंह ने बताया कि इस पूरे मामले को लेकर उनकी विधायक व बस्तर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी से चर्चा हुई। उनकी सलाह पर ही यह मामला उठाया है।

बविप्रा उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी ने क्या कहा…

बीजापुर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम शाह मंडावी ने इम्पेक्ट से चर्चा में कहा कि इस संबंध में उनसे अजय सिंह की कोई बातचीत नहीं हुई है। 14वें वित्त की राशि में गड़बड़ी को लेकर अधिकारियों पर जो आरोप लगाए गए हैं वे गलत हैं। अगर किसी के पास तथ्यात्मक सबूत है तो उसे प्रस्तुत करे। जांच होगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

अजय सिंह कौन और क्या है कांग्रेस में पद?

अजय सिंह से इम्पेक्ट ने सवाल किया कि वे वर्तमान में कांग्रेस के किस पद पर हैं और क्या है उनकी भूमिका? तो श्री सिंह ने कहा कि वे पूर्व संगठन में प्रदेश सचिव रहे। फिलहाल संगठन में प्रदेश सचिव की नियुक्ति नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि वे पीसीसी मेंबर हैं। साथ ही बीजापुर जिला के जिम्मेदार नागरिक के तौर पर गड़बड़ी को उजागर किया है। यदि किसी बड़े अधिकारी की भूमिका नहीं होती तो सभी पंचायतों में क्या सरपंच व सचिव को स्वप्न आया था कि एक जैसा ही बैठक कार्यवाही विवरण बनाकर खरीदी की प्रक्रिया को पूरी करते?

सवाल—जवाब

इम्पेक्ट — क्या जिला पंचायत बीजापुर में कोई शैलेंद्र सिंह हैं?

सीईओ — हां हैं, वे डीपीएम हैं।

इम्पेक्ट — अजय सिंह के आरोप हैं कि जिला पंचायत के इस अधिकारी के पास सभी पंचायतों के कोड हैं जिसके माध्यम से ही भुगतान किया जा सकता है?

सीईओ — नहीं, ऐसा नहीं है। एक बार राशि पंचायत के खाते में जाने के बाद उसके भुगतान अथवा निकासी पर सरपंच और सचिव का अधिकार होता है। एक प्रकार से यह एटीएम कार्ड की तरह है। बस पंचायत इस राशि का बेजा इस्तेमाल करता है तो जांच में पाए जाने पर कार्रवाई होती है। शैलेंद्र का काम केंद्र से आने वाली राशि को 24 घंटे के भीतर संबंधित पंचायतों में ट्रांसफर करना है।

इम्पेक्ट — क्या कलेक्टर बीजापुर ने पंचायतों द्वारा बिल भुगतान की प्रक्रिया पर बैंक में रोक लगाई है?

सीईओ — हां, कलेक्टर साहब ने ​पंचायतों द्वारा गैरवाजिब खरीदी कर बिलों के भुगतान की शिकायत पर बैंक को बिलों के भुगतान को क्लियर नहीं करने का निर्देश दिया है।

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