Breaking News

68000 करोड़ रुपये के कर्जमाफी पर कांग्रेस—भाजपा में छिड़ी रार… आरबीआई की सफाई… बट्टे खाते में डालने का मतलब वसूली बंद नहीं… निर्मला सीतारमन ने ट्वीटर कांग्रेस को दिया जवाब… देखें…

न्यूज डेस्क. नई दिल्ली।

आरबीआई ने 68000 करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डालने की बात से इनकार किया है। हांलाकि आरबीआई द्वारा राइट आफ घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस के सांसद व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस प्रवक्ता ने ट्वीटर पर हंगामा मचा दिया। जिसके बाद इस मुद्दे पर भाजपा व कांग्रेस के बीच रार छिड़ गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी आधी रात ट्वीटर थ्रेड से लंबा जवाब दिया है।

रिजर्व बैंक के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आरबीआई न तो किसी को कर्ज देती है और न उसे राइट ऑफ यानी बट्टे खाते में डालने का काम करता है। आरबीआई के प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि ये काम बैंकों की तरफ से एनपीए (फंसे कर्ज) के लिए प्रावधान के बाद किया जाता है। उन्होंने इस बारे में चल रही खबरों को निराधार बताते हुए कहा कि रिजर्व बैंक किसी भी गैर सरकारी और गैर बैंकिंग संस्थानों को न तो कर्ज देता है और न ही उसे राइट ऑफ करता है।

आरटीआई को गलत तरीके के समझकर पेश किया जा रहा है

रिजर्व बैंक की तरफ से बताया गया है कि राइट ऑफ एक बैंकों की तरफ से की जाने वाली अकाउंटिंग की प्रक्रिया होती है। जहां कर्ज को एक अलग बट्टे खाते में डाल दिया जाता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता है कि कर्ज की वसूली ही बंद कर दी जाती है।

वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमन ने इसे लेकर एक के बाद एक कुल 13 ट्वीट किए। जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2009 से 2014 के कार्यकाल में राइटआफ किए गए बैड लोन की जानकारी भी डाली।

देश में कर्ज के तमाम मामले ऐसे होते हैं जिनकी वसूली मुकदमों और अलग-अलग विभागों की जांच में उलझ जाती है। उनके मुताबिक इन चीजों में लंबा वक्त लगता है। ऐसे में उस कर्ज को बैंक के खातों में लेकर चलने से वो कारोबार के मुनाफे पर बोझ बन जाता है इसीलिए ऐसे कर्ज को अलग खातों में रख दिया जाता है, इसका अर्थ कर्ज माफ कर देना नहीं । जब कर्ज की वसूली हो जाती है तो फिर से बैंक के मुनाफे में उस रकम को शामिल कर लिया जाता है।

सियासत : राहुल गांधी ने सवाल उठाए

कई बड़े पूंजीपतियों का 68 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण बट्टे खाते में डाले जाने के दावे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने संसद में इस बारे में प्रश्न का उत्तर नहीं देकर सच छुपाने की कोशिश की थी। पार्टी ने इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण देने की मांग की है। राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि संसद में उन्होंने एक प्रश्न पूछा था कि देश के उन 50 बड़े लोगों के नाम बताइए, जिन्होंने जानबूझकर बैकों के करोड़ों रुपये का कर्ज नहीं चुकाया। मगर वित्त मंत्री ने उनके प्रश्न का जवाब नहीं दिया। राहुल ने 16 मार्च को लोकसभा के मौखिक प्रश्नों की प्रति भी ट्वीट की है। उनका सवाल पांचवें नंबर पर था।

आरटीआई में किया गया था दावा

देश के बैंकों का पैसा जानबूझकर नहीं चुकाने वाले 50 सबसे बड़े बकायेदारों के 68,607 करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया गया है। एक आरटीआई में यह दावा किया गया। इसके मुताबिक आरबीआई ने बताया कि पूंजपतियों को यह राहत 30 सितंबर 2019 तक दी गई। इन पूंजीपतियों में भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी और विजय माल्या के भी नाम हैं। मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बकाया 5,492 करोड़ रुपये बट्टे खाते में चले गए। आरईआई 4,314 करोड़ रुपये के साथ दूसरे नंबर पर और विंसम डायमंड्स 4,076 करोड़ रुपये के साथ तीसरे नंबर पर है। रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को 2,850 करोड़ रुपये, कुदोस केमी लिमिटेड को 2,326 करोड़ रुपये और जूम डेवलपर्स के 2,012 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए हैं। (एजेंसी)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!