Breaking NewsImpact Original

शिक्षकों ने कहा हम जूम एप पर नहीं चला सकते क्लास… डायरेक्टर को बस्तर डीईओ ने लिखा पत्र… बहुत से सवालों के घेरे में है वेब शिक्षा…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर।

​स्कूल शिक्षा विभाग के वेब पोर्टल में कई खामियां तो पहले ही उजागर की जा चुकी हैं पर अब कुछ सवाल व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं। इन सवालों का जवाब वास्तव में शासन को ही तलाशना होगा। विडियो कान्फरेंसिंग एप जूम को लेकर शिक्षकों में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

देखें पत्र

बस्तर जिला के जिला शिक्षा अधिकारी ने इस संबंध में स्पष्ट तौर पर स्कूल शिक्षा विभाग के संचालक को पत्र लिखा है। जिसमें यह जानकारी दी गई है कि शिक्षकों ने जूम एप के खतरों को देखते हुए इसका उपयोग करने से इंकार कर दिया है। जिससे पढ़ई तुंहर द्वार में बाधा उत्पन्न हो गई हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विडियो कान्फरेंसिंग जूम एप को लेकर एडवाइजरी जारी की थी तो सीजी इम्पेक्ट ने बताया ​था कि इसी एप पर छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग की महती योजना पढ़ई तुंहर द्वार का संचालन किया जा रहा है।

इसी मसले पर एक न्यूज चैनल से बात करते हुए प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने इस मसले को हवा में यह कहकर उड़ा दिया था कि दो दूनी चार से एप को क्या हासिल होगा? आप इसी तथ्य से उनकी गंभीरता को पहचान सकते हैं। आखिरकार शिक्षकों द्वारा इस एप को अन इंस्टाल करने से अब समस्या खड़ा होने लगी है।

इसी मामले में हमारे कुछ और सवाल हैं मसलन सीजी स्कूल डॉट इन वेबपोर्टल पर पाठ्य सामग्री बिना स्वीकृत किए डलवाया जाना क्या उचित है? इम्पेक्ट को जानकारी मिली है कि इस पोर्टल में कंटेंट बनाने वालों को पैसा भी दिया जाने का विचार चल रहा है।

वैसे भी इस पोर्टल को लेकर विवाद खड़ा ही है कि इसके सारे डाटा निजी सर्वर पर जा रहे हैं। इसे निजी सर्वर से लेने के लिए किसी ईमेल आईडी को एडमिन बनाया गया है? इसके सर्वर का रिनीवल नहीं किए जाने पर इसमें उपलब्ध डाटा के बारे में स्कूल शिक्षा विभाग का क्या प्लान है?
असल में ये सारा खेल डाटा के लिए है। जिसमें इस सारे मटैरियल को आन लाइन क्लास में अथवा किसी एनजीओ के उपयोग में लगाने की प्रबल संभावना है।

कक्षा नवीं से 12 वीं के विद्यार्थी के लिए फिर से कंटेंट बनाने का निर्णय लिया जा चुका है। आने वाले दो सप्ताह में करीब 1200 से ज्यादा कंटेट बनाने का काम किया जाना है। सवाल ये है कि जब पहले से राज्य सरकार के पास अपना खरीदा हुआ एमबीडी कंपनी का कंटेंट है जिसको एससीईआरटी ने अप्रुव भी किया है फिर नया कंटेंट बनाने का बोझ टीचर पर क्यों? क्यों उन्हें लॉक डाउन में इस काम के लिए बुलाकर फिर से ऐसा काम करवाया जा रहा है जिसकी बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।

एससीईआरटी कैसे इन कंटेंट को इतनी जल्दी अप्रुव करेगा? क्या इन टीचर्स को कंटेंट तैयार करने जैसे तकनीकी विषय पर कोई ट्रेनिंग दी गई है? अब नया शिगुफा है कि 40000 वर्चुअल स्कूल स्थापित किए जाएंगे?

प्रयोगशाल बन चुकी शिक्षा में यह समझा जाना आवश्यक है कि ये वर्चुअल स्कूल क्या है? इसको स्वीकृति कब मिली? इसमें क्या किया जाना है? किसे जिम्मेदारी सौंपी गई है?

बड़ा सवाल है कि क्या केवल शिक्षक और विद्यार्थी का वाट्सएप ग्रुप बना देना ही वर्चुअल स्कूल होता है? यदि ऐसा है तो पिछले दस साल में तो सभी कॉलेज और स्कूल में वर्चुअल स्कूल माने जाने चाहिए थे।

सूत्रों का दावा है कि शिक्षा​ विभाग में चल रहे इस पूरे कार्यक्रम में विभाग के जिन लोगों ने इनका साथ देने से मना किया उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई एवं वेतन वृद्धि रोकने की कोशिश की जा रही है।

बड़ी बात है कि इस वेब पोर्टल में 27 करोड़ से ज्यादा विजिटर दर्शाया जा रहा है। इसमें स्टूडेंट 16 लाख व 1.6 लाख शिक्षक पंजीकृत हुए हैं। तो ये 27 करोड़ लोग कौन हैं जो साईट देखने आ रहे हैं।

जबकि ना तो इसमें ​विद्यार्थी और ना ही शिक्षकों के पंजीकरण में किसी तरह की सिक्यूरिटी वेरिफिकेशन की व्यवस्था है ऐसे में इस दर्ज आंकड़े की विश्वसनीयता क्या है? कल यदि इसके आधार पर कोई असेसमेंट किया जाता है तो उसको किस आधार पर कोई असेसमेंट किया जा सकता है? यदि असेसमेंट नहीं हुआ तो प्रमाणिक कैसे माना जा सकता है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!