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‘पढ़ई तुंहर द्वार’ और डाटा…?

सुरेश महापात्र / दबी जुबां से…

अब तक ऐसी कोई पालिसी ही नहीं है कि किसी निजी सर्वर में प्रदेश के लोगों की जानकारी और शासकीय उपयोग के डाटा को रखा जाए या नहीं! यानी हम डाटा चोरी के बाद सोचेंगे करना क्या है…?

प्रदेश में कोरोना के बीच सबसे बड़ी बहस शिक्षा से जुड़ी नई व्यवस्था को लेकर चल रही है। यह व्यवस्था है ‘पढ़ई तुंहर द्वार’ की। लॉक डाउन के चलते पूरी दुनिया में लोग अपने घरों के भीतर बंद हो गए हैं। शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। ऐसे में छत्तीसगढ़ में शिक्षा की अलख जलाए रखने की इक कोशिश चल रही है।

इस कोशिश का नाम है ‘पढ़ई तुंहर द्वार’ हकीकत में बस नाम ही बदला है। बहुत से लोग शायद यह भूल चुके हों कि बीते शैक्षणिक सत्र में ही छत्तीसगढ़ शासन ने इसकी शुरूआत कर दी थी। यानि शिक्षा के डिजिटाईजेशन की। जिसकी शुरूआत जून 2019 में दीक्षा नामक वेबपोर्टल से की गई थी।

इसके तहत बड़ी मेहनत से छत्तीसगढ़ के तमाम पाठ्य पुस्तकों के पीडीएफ क्यूआर पेज बनवाए गए। शैक्षणिक गतिविधियों की आडियो और विडियो क्लिप तैयार करवाए गए। सभी को अपलोड किया गया। धूमधाम के साथ यह व्यवस्था शुरू की गई। इसी बीच करीब आठ माह पहले छत्तीसगढ़ शासन ने ‘ब्लेकबोर्ड टू की बोर्ड’ नामक स्मार्ट क्लास अभियान की भी शुरूआत की थी। प्रदेश के स्कूलों को स्मार्ट बनाने का काम चल ही रहा था कि लॉक डाउन आ गया।

इन सबके बीच जो चर्चा चली वह थी ‘पढ़ई तुंहर द्वार’ की। यानी विजुअल पढ़ाई का तौर तरीका। यह प्रयास सकारात्मक ही है पर इसके वेबसाइट सीजीस्कूल.इन के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए गए जो संकलित किए जा रहे डाटा के हिसाब से सही नहीं कहे जा सकते…। फिलहाल जिस वेब साइट के माध्यम से यह संचालित हो रहा है उसमें सबसे बड़ी खामी यह है कि इस वेबसाईट का सर्वर सरकारी नहीं है।

खैर यह सरकार को देखना है कि क्या सही है और क्या गलत? मीडिया का काम कान खड़ा करना है और हमने यह कर दिया है… इस मामले को उठाने के बाद सीएम के प्रमुख सचिव सुब्रत साहू ने मैसेज किया There is no violation of policy... यानी सरकार निश्चिंत हैै। यह मजबूूूूरी भी है बात अब हाथ से निकल चुुुुकी है। सूत्र बता रहे हैं कि अब तक ऐसी कोई पालिसी ही नहीं है कि किसी निजी सर्वर में प्रदेश के लोगों की जानकारी और शासकीय उपयोग के डाटा को रखा जाए या नहीं! जैसा इस बार देखने में आया है। यदि इसे मान्यता दी जाती है तो भी इसके भावी परिणाम सही नहीं होंगे… यह समझना होगा।

डा. रमन के पत्र का जवाब…

पूर्व और तीन बार के प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कोरोना मामले को लेकर सुझावात्मक पत्र लिखा। सीएम बघेल ने जवाब नहीं दिया। बल्कि उनके मीडिया सलाहकार और पत्रकार रूचिर गर्ग ने जवाब दिया… जिसमें उन्होंने डा. सिंह के पत्र की भाषा को सामंती बताकर एक प्रकार से खारिज कर दिया। रूचिर के पत्र का जवाब ओपी चौधरी दे दिया… वे युवा हैं और जज्बाती भी… आखिर उन्होंने रमन की उंगली थामकर भाजपा में अपनी जगह बनाई है। उन्होंने रूचिर के पत्र पर सवाल खड़े किए और सरकार की कमिया गिनाईं। ओपी के पत्र पर रूचिर ने जवाब नहीं दिया… साथ ही भाजपा की ओर से पंकज झा ने रूचिर के पत्र पर सवाल खड़ किया। जवाब में कांग्रेस के मीडिया दल के प्रमुख शैलेष नितीन त्रिवेदी ने एक खर्रा जारी किया जिसमें पीएम केयर फंड से लेकर तमाम सवालों को उठाया जो रूचिर उठा चुके थे। आखिर में पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का बयान आया। पर एक बड़ी बात सामने आई कि भूपेश ने पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन के पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी… इसके मायने?

एक्सटेंशन की फाईल…

शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की सेवानिवृत्ति 31 मई को है। वे फरवरी में छत्तीसगढ़ में पद पाकर पुर्नस्थापित हुए। नान घोटाले में नाम आने के बाद से लगातार निशाने पर रहे। फिलहाल वे ‘शक्ति शरणम गच्छामी’ वाली स्थिति में हैं…। यानी वे उस ‘शक्ति’ के साथ खड़े हैं जिसके नाम से छत्तीसगढ़ की अफसरशाही थर्राती है। सूत्र बता रहे हैं कि डा. शुक्ला पर भारी बोझ है… इसमें सफलता से ही एक्सटेंशन की फाइल का भविष्य है।

कोरोना के ग्रहण के बाद…

कोरोना के दौरान ही पुलिस विभाग में बदलाव को मूर्त रूप दिया जा चुका है। अब छत्तीसगढ़ में ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट है। इंतजार है तो बस कोरोना के ग्रहण के हटने का। कम से कम 8 जिलों में कलेक्टर से लेकर मंत्रालय में दर्जन भर अफसर तक बदलने की प्रबल संभावना है। सभी के लिए नार्म्स तय कर दिए गए हैं… वैसे भी इस बार मार्च भी खराब हो गया है। सूखे से अफसर और नेता दोनों परेशान हैं। सभी टकटकी लगाकर बैठे हैं ग्रहण के खत्म होने के इंतजार में…

कुर्सी की कतार में नेता…

छत्तीसगढ़ में कुर्सी पाने की कतार में पूरे प्रदेश भर के दिग्गज नेता टकटकी लगाए बैठे हैं। नेताओ की ग्रहदशा ठीक नहीं है। एक मौका आने का इंतजार खत्म होता है और दूसरा व्यवधान आ खड़ा होता है। पीसीसी ने अपने सारे पद भर लिए हैं। और अब बचे हुए कांग्रेसी उम्मीद से हैं…। सूत्र बता रहे हैं कि कुर्सी वालों के लिए कठिन प्रश्नावली तैयार है… बिल्कुल केबीसी के पांच करोड़ के सवाल जैसी…

और अंत में…
जूम एप के माध्यम से विडियो कान्फरेंसिग के बाद जैसे ही गृहमंत्रालय की एडवायजरी जारी हुई सरकार ने cisco webEx meeting app से बातचीत शुरू कर दी… लग रहा है कोरोना के बाद छत्तीसगढ़ सरकार, केंद्र सरकार को काफी गंभीरता से ले रही है…

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