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शहीद भाई की तस्वीर पर तिरंगे वाली राखी बांधकर बहन ने दी श्रद्धाजंलि

  • लोकेश शर्मा. दंतेवाड़ा.

आज जहां पूरा देश रक्षा बंधन का पर्व मना रहा है। बहनें अपने भाइयों की कलाईयों पर रक्षा सूत्र बांध कर अपनी रक्षा का वचन ले रहीं है। वहीं दूसरी तरफ दंतेवाड़ा की एक ऐसी बहन भी है, जो भाई की शहादत के बाद खाखी वर्दी पहन अपने शहीद भाई की तश्वीर और उसके रायफल (हथियार) में रक्षासूत्र बांध कर रक्षा बंधन का पर्व मना रही है।

भाई-बहन के प्रेम का अटूट रिश्ता जो जन्म जन्मांतर तक बना रहता है। इस पर्व का इंतजार बहन और भाई को बड़ी बेसब्री से होता है। यदि रक्षा बंधन पर्व पर किसी बहन का भाई उसके साथ न हो तो उस बहन पर क्या गुजरती है, यह शायद दंतेवाड़ा में एक शहीद भाई की लाडली बहन ही भली भांति समझ सकती है। हम बात कर रहे हंै बारसूर की कविता कौशल की, जिनका भाई राकेश कौशल विधानसभा चुनाव से पहले निलावाया में नक्सलियों से लोहा लेते वीरगति को प्राप्त हुआ।

भाई की शहादत के बाद यह पहला रक्षाबंधन का पर्व है। एक दिन पहले शहीद की बहन ने भाई की तश्वीर और उसके हथियार की आरती उतारी। रक्षा सूत्र बांधा और मुंह भी मीठा करवाया। कविता के भाई राकेश ने वतन के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इसलिए कविता ने तिरंगे वाली राखी भाई की तश्वीर और हथियार में बांध कर शहीद भाई को श्रद्धांजलि दी।

भाई की तश्वीर के सामने बैठ भाई को याद करते कविता बिलख पड़ी। बस्तर इम्पेक्ट से खास बातचीत में कविता ने बताया कि वह अपने तीन भाइयों की इकलौती बहन है, जिसमें सबसे ज्यादा वो शहीद राकेश की लाडली थी। भाई की इच्छा थी कि वह भी उन्ही की तरह पुलिस सेवा में जाकर देश की रक्षा करे। भाई की इच्छा के चलते ही उनकी शहादत के बाद उनकी जगह मुझे नौकरी मिली है।

देश की हिफाजत के लिए पीठ में नहीं बल्कि सीने में गोली खाऊंगा
कविता बताती है- भाई अक्सर कहते थे नक्सली कायर है, वो छिपकर पीठ पीछे वार करते हैं। जब भाई नक्सल मोर्चे में तैनात थे और ऑपरेशन में जाते थे तब मां को सबसे ज्यादा चिंता रहती थी। मां जब भी फोन में भाई से बात करती थी तो भाई कहते थे- डरो मत मां, तुमने शेर बच्चे को जन्म दिया है। दुश्मनों से लोहा लेते वक्त देश की हिफाजत के लिए मैं कायरों की तरह पीठ में नहीं बल्कि सीने में गोली खाऊंगा। वहीं कविता ने रक्षा बंधन पर पुलिस की वर्दी पहन कर भाई की तश्वीर पर राखी बांधकर एक बहन का कर्तव्य निभाया। फिर अपनी पुलिस की ड्यूटी कर अपने दायित्यों का निर्वहन किया।

दंतेश्वरी फाइटर्स टीम का हिस्सा बनने की इच्छा
कविता ने हथियार में राखी बांधने को लेकर बताया कि भाई इसी हथियार को लेकर नक्सल मोर्चे में तैनात होते थे। इसी हथियार से उन्होंने कई नक्सलियों को मौत के घाट उतारा है। इसी हथियार को लेकर भाई देश की सुरक्षा में मुस्तैद रहते थे। मैंने अपने अधिकारियों से भाई के हथियार मांग कर इसमें रक्षा सूत्र बांधा है। क्योंकि यह हथियार भाई अपने पास रखते थे और देश की हिफजत करते थे। अगर मैं नक्सल मोर्चे में तैनात होती हूँ तो भाई का ही यह हथियार चलाऊंगी।

कविता ने दंतेवाड़ा एसपी डा. अभिषेक पल्लव से उसे दंतेश्वरी फाइटर्स की टीम में शामिल करने की इच्छा जाहिर की है। ताकि वो स्वयं भी दंतेश्वरी फाइटर्स के साथ नक्सल मोर्चे में तैनात हो सके और अपने शहीद भाई की मौत का बदला ले सके। कविता की इस इच्छा को एसपी ने स्वीकारा और उसे दंतेश्वरी फाइटर्स का हिस्सा बनाने अन्य महिला कमांडों के साथ स्पेशल ट्रेनिंग करवाने की बात कही हैं।

रक्षा बंधन पर कविता ने उन तमाम बहनों को संदेश दिया कि वो बहनें या फिर परिवार बहुत किस्मत वाले होते हैं, जिनके भाई शहादत को प्राप्त होते हैं। तकलीफें सभी को होती है, लेकिन हिम्मत से काम लें। मातृभूमि के लिए हमारे भाइयों ने अपने शीश चढ़ा दिए। हमारे भाई मरे नहीं बल्कि अमर हो गए हैं।

शहीद भाई की बहन कविता की इच्छा थी कि उसे रक्षा बंधन पर्व मनाने उसके भाई का हथियार दी जाए, ताकि वो उसमें रक्षासूत्र बांध सके। शहीद की बहन की भावनाओं को देखते हमने उसे हथियार दिए। कविता को उसके भाई की जगह पुलिस में नौकी दी गई है। उसने दंतेश्वरी लड़ाके में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। उसे दंतेश्वरी लड़ाके के साथ ट्रेनिंग कराए जाएंगी। फिर आपरेशन में भेजा जाएगा।
डा. अभिषेक पल्लव
पुलिस कप्तान, दंतेवाड़ा

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