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अडानी को ठेके पर राजधानी में छिड़ी राजनीतिक रार… सरकार के निशाने पर एनएमडीसी के सीएमडी बैजेंद्र कुमार…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर.

रमन के आरोप पर भूपेश का सवाल ‘रमन बताएं अडानी को एमओयू देना चाहते हैं या नहीं…’ वहीं वनमंत्री ने पेड़ कटाई के लिए रमन सरकार के आदेश पर पेश किए दस्तावेज…

एनएमडीसी के डिपाजिट 13 के खनन के लिए अडानी की कंपनी को ठेका देने का मामला अब पूरी तरह से राजनीति के रंग में रंग गया है। सीएमडी एन बैजेंद्र कुमार पर भी सरकार की ओर से उंगली उठाई जा रही है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा कांग्रेस की सरकार को घेरने की कोशिश अब डा. रमन पर ही भारी पड़ती दिखाई दे रही है। जबकि इस मामले में भूपेश सरकार ने पहले ही सवाल उठाया है कि सरकार बनने से ठीक पहले जल्दबाजी में अडानी को क्यों दिया गया ठेका।

डा. रमन ने डिपाजिट 13 में पेड़ कटाई के लिए वर्तमान भूपेश सरकार पर आदेश जारी करने का आरोप लगा दिया। इसके बाद कांग्रेस ने तीखा पलटवार करने में थोड़ी भी देरी नहीं की।

हांलाकि कांग्रेस के द्वारा डिपाजिट 13 के मुद्दे में शुरूआत में असमंजस की स्थिति साफ दिख रही थी। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अजीत जोगी के मास्टर स्ट्रोक ने कांग्रेस को डिपाजिट 13 के मुद्दे पर फ्रंटफुट पर खड़ा करने के लिए बाध्य कर दिया है।

जिस समय डा. रमन ने भूपेश सरकार पर अडानी का साथ देने का आरोप लगाया था तब वे दिल्ली में थे। आज दिल्ली से लौटते ही विमानतल में मीडिया ने भूपेश बघेल को इसी मुद्दे पर घेर लिया। पलट जवाबी के लिए माहिर CM भूपेश ने रमन सिंह पर ही सवाल दागते पूछा- रमन सिंह पहले ये बताएं कि वो अडानी को MOU देना चाहते हैं या नहीं…

उन्होंने कहा कि अडानी विवाद को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बात तो डाॅ रमन सिंह को स्पष्ट करना चाहिए कि अडानी को जमीन देने के पक्ष में है कि नहीं है।

दूसरी बात ये हैं कि जो पिछली सरकार जो फैसला करती हैं उसको वर्तमान सरकार के अधिकारी कैरी ऑन करते हैं। तभी कोई नया फैसला करते हैं। यदि विभाग ने कुछ किया है तो वो पिछली सरकार के काम को आगे बढ़ाने का काम किया है। पर सवाल ये है कि रमन सिंह को बताना चाहिये कि वो अडानी को देने के पक्ष में हैं कि नहीं हैं।

वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर

पेड़ों को काटने की अनुमति रमन सरकार ने दी थी : अकबर

इधर शाम को वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने दस्तावेज जारी कर आरोप लगाया कि पेड़ों को काटने की अनुमति रमन सरकार ने ही दे दी थी। अकबर ने बैलाडीला में माइनिंग की सहमति देने के मसले पर कहा कि सहमति पर्यावरण विभाग ने नहीं दी थी। बल्कि पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने दी थी।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण बोर्ड केंद्र सरकार की जल एवं वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम के तहत गठित एक स्वायतशासी संस्था है। जिसकी कार्रवाई अलग से चलती है। बोर्ड के फैसले अलग से होते हैं। चूंकि ये एक स्वतंत्र इकाई है इसलिए इनकी बैठकों में मंत्री शामिल नहीं होते।

उन्होंने कहा कि जो जानकारी उन्हें पर्यावरण संरक्षण मंडल से मिली है उसके मुताबिक माह अप्रेल में माइनिंग हेतु संचालन सम्मति बोर्ड में दिया गया था। लेकिन ये कंसेट केन्द्र सरकार के उपक्रम एनएमडीसी एवं सीएमडीसी के संयुक्त उपक्रम के नाम से जारी किया गया था न कि किसी प्राइवेट कंपनी को।

अकबर ने कहा इस पूरे मसले में न तो उन्होंने किसी प्रकार की कोई सहमति दी है न ही उनके समक्ष इस पूरे मसले पर कोई फाइल आई थी। उन्होंने वन काटने की अनुमति या सहमति कभी नहीं दी है। अकबर ने दस्तावेज़ पेश करके बताया कि पेड़ों को काटने की अनुमति रमन सिंह की सरकार ने जनवरी 2018 में दी थी।

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