बैलाडिला डिपाजिट—13 में खेल : अडानी की कंपनी एईएल के खिलाफ किरंदुल में बड़े आन्दोलन की तैयारी…
धीरज माकन.
किरंदुल निक्षेप क्रमांक 13 को अडानी इंटरप्राइजेज को सौंपे जाने के विरोध में स्थानीय आदिवासी संयुक्त पंचायत जन संघर्ष समिति बैलाडीला के तत्वाधान में बड़े आन्दोलन की रूप रेखा तैयार है।
7 जून को दंतेवाड़ा जिले के चारों ब्लाक से हजारों आदिवासी इकठ्ठा हो कर 13 नंबर खदान को सौंपने का विरोध किरंदुल में एनएमडीसी के प्रशासनिक भवन के समक्ष एकत्र होकर करेंगे। संघर्ष समिति के सचिव राजू भास्कर ने बताया कि 13 नंबर पहाड़ी में वर्षों से आदिवासियों के देवी देवता विराजमान है जल जंगल और जमीन पर यहां के मूल आदिवासियों का हक है।
बिना उनकी इजाजत के फर्जी तरीके से जनसुनवाई को अंजाम दिया गया और अब निजी हाथों में पहाड़ी को सौंप कर अरबो रुपय की कमाई का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसका पुरजोर विरोध किया जायेगा। उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क के लिए मशहूर बैलाडीला की पहाड़ियों पर बहुराष्ट्रीय कम्पनी अडानी ग्रुप की नजर पड़ गई है।
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विशेष रिपोर्ट 01
माना जा रहा है की निक्षेप क्रमांक 13 में ठेका कार्य के जरिये पूरे एनएमडीसी पर अपना स्वामित्व जमाना चाहता है। एनएमडीसी के अधीन 6 निक्षेपों में उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क का उत्खनन होता है। जिसमे 65 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत का लौह अयस्क है। जो एशिया में सर्वोत्तम है। अपेक्षाकृत इसकी मांग ज्यादा रहती है। एनएमडीसी का निजी पूंजी निवेश बढ़ने के साथ निजी कंपनियों की निगाहें बैलाडीला की पहाड़ियों में कब्जा जमाने के लिए लगी हैं।
एस्सार द्वारा 16 इंच व्यास की भूमिगत पाइप लाइन के जरिये परिवहन कर रहा है। 265 किलोमीटर तक बिछी विश्व की दूसरी सबसे लम्बी स्लरी पाइप लाइन में पानी के दाब के जरिये लौह अयस्क को विशाखापत्तनम तक भेजा जा रहा है। एस्सार निक्षेप क्रमांक 3 का प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस लेने में कामयाब रही। लेकिन नक्सल प्रभाव की वजह इस खदान में एस्सार परियोजना के लिए कार्य करना ज्यादा संभव नहीं हो पाया।
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विशेष रिपोर्ट 02
अगर हालात कम्पनी के अनुकूल रहते तो वर्तमान परिदृश्य कुछ और होता। उच्च गुणवत्ता का लौह है निक्षेप 13 में है। जानकार बताते हैं कि इसमें बाकी डिपाजिट के समतुल्य उच्च गुणवत्ता का लौह अयस्क मौजूद है। जिसमें 65 प्रतिशत तक आयरन की मात्र मौजूद है।
बताया जाता है की 315 हेक्टेयर में फैले इस डिपाजिट में 350 मिलियन टन लौह अयस्क मौजूद है। जिसका उत्खन्न सौ वर्षों तक किया जा सकता है। इसके खनन का ठेका 25 वर्षों के लिए अडानी इंटरप्राइजेज को दिया गया है।
हो रहा है भारी विरोध
एनएमडीसी और छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट की संयुक्त जॉइंट वेंचर कम्पनी एनसीएल के डिपाजिट—13 के उत्खनन कार्य को टेंडर के माध्यम से अडानी इंटरप्राइजेज को दिए जाने का विरोध शुरू हो गया है। मजदूर संगठनों के साथ साथ स्थानीय आदिवासी भी इस खदान में निजी भागीदारी का भारी विरोध कर रहे हैं।
60 साल पुरानी एनएमडीसी लौह अयस्क के खनन कार्य में दुनिया भर में माहिर मानी जाती है। ऐसे में खदान को निजी हाथों में दिया जाना स्थानीय हितों के खिलाफ होगा और इसका पुरजोर विरोध किया जायेगा।
– एटक के सचिव कामरेड राजेश संधू