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मजदूर दिवस पर भिलाई में निकली रैली- श्रमिकों का होगा सम्मान

रायपुर/ भिलाई, जेएनएस

आज अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस है। इसे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन कामगारों के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस का विषय है- सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए श्रमिकों का एकीकरण।

इस मौके पर छत्तीसगढ़ में भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर देश के विकास में श्रमिकों के अमूल्य योगदान को याद किया जा रहा है। भिलाई इस्पात संयंत्र सहित कई औद्योगिक इकाइयों के मजदूरों ने जगह-जगह कार्यक्रम किया। भिलाई इस्पात संयंत्र में काम करने वाले श्रमिकों के संगठन हिन्दुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक युनियन- सीटू के बैनर तले श्रमिकों ने एक रैली निकाली। बाजे – गाजों के साथ निकाली गई इस रैली में बड़ी संख्या में महिला श्रमिक भी शामिल हुईं। रैली निकालने के बाद नुक्कड़ सभा का भी आयोजन किया गया। इसके अलावा संगोष्ठी के साथ ही शहीद श्रमिकों के सम्मान में श्रद्धांजलि कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।

हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन सीटू ने ग्लोब चौक से आइआर गेट तक पैदल मार्च निकाला। सुबह सात बजे सभी मजदूर ग्लोब चौक में एकत्र हुए और रैली के रूप में जत्था निकाला। इसमें ठेका श्रमिक शामिल हुए। मुर्गा चौक, आइआर गेट में रैली एक आमसभा में तब्दील हो गई जिसे श्रमिक नेताओं ने संबोधित किया। आमसभा के बाद प्रबंधन को मांग पत्र सौंपा गया।

वहीं, सीटू के सेक्टर-1 कार्यालय में ध्वजारोहण का कार्यक्रम भी हुआ। दूसरी ओर जामुल से कई मजदूर संगठनों की ओर से रैली निकाली गई जो मुर्गा चौक पर पहुंचकर नुक्कड़ सभा में तब्दील हो गई। बीएसपी वर्कर्स यूनियन (बीडब्ल्यूयू) द्वारा इस मौके पर कर्मचारियों का सम्मान भी किया गया। सुबह आठ से नौ बजे तक बोरिया गेट पर पैम्फलेट वितरण कर श्रमिक जागरण अभियान चलाया गया। कर्मचारियों की मांग एवं अधिकारों की जानकारी दी जाएगी।

गौरतलब है कि यह दिवस पूरे विश्व में श्रमिकों के बलिदान और उनके द्वारा अपने अधिकारों को पाने के लिए किए गए संघर्षों को याद करने के लिए मनाया जाता है। 19वीं शताब्दी के शुरूआत में औद्योगीकरण के दौरान उद्योगपति मजदूरों का शोषण करते थे और उन्हें रोजाना 15 घंटे तक काम करना पड़ता था।

इसके खिलाफ मजदूरों ने आवाज उठाई थी। यह दिवस मजदूरों के काम की अवधि 8 घंटे तक किए जाने की आंदोलन की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर मजदूर यूनियन और सामाजिक संगठन कई कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, जिसमें मजदूरों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है। भारत में पहला मई दिवस 1923 में चेन्नई में मनाया गया था।

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